
भारत में कई बार चुनाव, सरकारी योजनाओं या अन्य प्रक्रियाओं के दौरान लोगों से नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज मांगे जाते हैं। अक्सर इस स्थिति में लोग आधार कार्ड को ही अपनी नागरिकता का सबूत मान लेते हैं, जबकि आधार केवल पहचान और पते का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं। ऐसे में सवाल उठता है कि कौन से दस्तावेज असल में नागरिकता का पक्का सबूत माने जाते हैं।
ये चार दस्तावेज माने जाते हैं नागरिकता का ठोस सबूत
भारत सरकार और संबंधित विभागों के अनुसार नीचे बताए गए चार दस्तावेज किसी व्यक्ति की भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त माने जाते हैं।
- जन्म प्रमाण पत्र
यदि आपका जन्म भारत में हुआ है और आपके पास जन्म प्रमाण पत्र मौजूद है, तो यह आपकी नागरिकता का सबसे अहम सबूत माना जाता है। इसमें यह स्पष्ट दर्ज होता है कि जन्म भारत की सीमा के भीतर हुआ है। - भारतीय पासपोर्ट
पासपोर्ट भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किया जाने वाला आधिकारिक डॉक्यूमेंट है। इसमें न सिर्फ व्यक्तिगत विवरण होता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि धारक भारतीय नागरिक है। इसलिए यह नागरिकता का सबसे मजबूत प्रमाण माना जाता है। - नेशनलिटी सर्टिफिकेट
यह दस्तावेज विशेष परिस्थितियों में राज्य सरकार या जिले के सक्षम अधिकारी द्वारा जारी किया जाता है। कुछ मामलों में गृह मंत्रालय भी इसे प्रदान करता है। इसमें स्पष्ट लिखा होता है कि संबंधित व्यक्ति भारतीय नागरिक है। - नेचुरलाइजेशन सर्टिफिकेट
जिन लोगों ने भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 5 या धारा 6 के तहत भारत की नागरिकता प्राप्त की है, उन्हें यह प्रमाण पत्र दिया जाता है। यह सर्टिफिकेट नागरिकता के लिए आधिकारिक प्रमाण है।
किन्हें ध्यान देना चाहिए
- जिनके पास आधार कार्ड है, उन्हें यह समझना जरूरी है कि यह नागरिकता प्रमाण का विकल्प नहीं है।
- चुनाव आयोग या सरकारी संस्थाएं अगर नागरिकता का पुख्ता प्रमाण मांगें, तो इन्हीं चार दस्तावेजों में से कोई एक मान्य होगा।
संक्षेप में समझें तो, जन्म प्रमाण पत्र, भारतीय पासपोर्ट, नेशनलिटी सर्टिफिकेट और नेचुरलाइजेशन सर्टिफिकेट ये चार दस्तावेज आपके लिए नागरिकता के मजबूत सबूत हैं। इनके रहते नागरिकता साबित करने के लिए और किसी अलग दस्तावेज की आवश्यकता नहीं पड़ती।